प्रेम की शक्ति
रवि रंजन गोस्वामी
Editorial: Aslan eReads
Sinopsis
जब प्रेम चमकता है, यह सच्चिदानन्द है। जब प्रेम बहता है, यह अनुकम्पा है। जब प्रेम उफनता है, यह क्रोध है। जब प्रेम सुलगता है, यह ईर्श्या है। जब प्रेम नकारता है, यह घृणा है। जब प्रेम सक्रिय है,यह सम्पूर्ण है। जब प्रेम में ज्ञान है, यह “मैं”हूॅं। गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर