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जज़्बात की उड़ान - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

जज़्बात की उड़ान

रवि रंजन गोस्वामी

Narratore महेश मृद्वीका

Casa editrice: BuCAudio pedia Pvt Ltd

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Sinossi

जिन्दगी की शाम जब ढलने लगी तभी एक रोज तनहाई में ख्याल आया कि दिन रात खुशहाल जिंदगी के सपनों का पीछा करते करते थक सा गया हूं। मेरी तमाम उम्र कटी इस सुख सुविधा कमाने में, जिंदगी का बेशकीमती वक्त बीत गया दो वक्त की जरूरत जुटाने में हताश हू यह सोचकर कि जिंदगी में मैने ऐसा क्या किया कि नाकामयाबी ने हरदम मेरा ही साथ है निभाया। 
तमाम उम्र खामोश रहा उफ तक नही की, इस दिल की चुप्पी ने अब दम तोड़ा है और मेरे जजबात ने उड़ान भरी है। मर्मान्तक पीड़ा के सागर से ही मधुर कविता के मोती निकलते है। कुछ नई कोपलों ने पुराने दरख्त में अपना आशियाना सजाया है और जिंदगी की जिंदादिली को और मजबूत बनाया है। 
इस सफर के दौरान जो कुछ भूल गया था सब को बारी-बारी से याद करके कागज पर उतार दिया है।
Durata: 18 minuti (00:17:42)
Data di pubblicazione: 27/06/2024; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —