Namak Ka Daroga - Munshi Premchand - नमक का दरोगा - मुंशी प्रेमचंद
Munshi Premchand
Narrateur Munshi Premchand
Maison d'édition: LOTUS PUBLICATION
Synopsis
नमक का दरोगा यह कहानी मुंशी वंशीधर की है, जो ईमानदार है और उसने कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज़ उठाई। लेकिन जिस समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो, उसमें क्या ईमानदारी और सच्चाई टिक पाएगी? मुंशी प्रेमचंद की कहानी इसी पर आधारित है।कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद कलम के जादूगर प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी बड़े ही ध्यान और सम्मान के साथ सुनी जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं प्रेमचंद की वो कहानियाँ जो उनके कथा संकलन ‘मान सरोवर’ से ली गई हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ अपने समय की हस्ताक्षर हैं जिनमें आप तब के परिवेश और समाज को भी बखूबी समझ सकते हैं। यूं तो मुंशी जी ने अपनी कहानियाँ हिंदी में ही लिखी हैं फिर भी हमारा ये प्रयास है की उनकी कहानियाँ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे और इसलिए हमने उन्हें थोड़ी और सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। इन कहानियों को ख़ास आपके लिए तैयार किया है। तो आइए सुनते हैं प्रेमचंद की विश्व प्रसिद्ध कहानियाँ! Munshi Premchand’s real name was Dhanpat Rai. He was born on 31 July 1880 in Lamhi village in Banaras. He was born into a middle class family which made him keenly observe the poverty and disadvantages of the middle class society. He dedicated his whole life to Hindi literature. He was honoured with the titles of a short-story writer, a novelist and a social reformer. He died on 8 October, 1936.In this collection of short stories, Premchand has thrown light on the different aspects of society such as social systems, faith and religion. The story ‘Kafan’ reflects the poverty-stricken upbringing of Premchand and depicts the struggles of the poor for survival.
Durée: 24 minutes (00:23:47) Date de publication: 24/03/2023; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —